Psalms 102:25-27

25प्रभु, आपने प्रारंभ में ही पृथ्वी की नींव रखी,
तथा आकाशमंडल आपके ही हाथों की कारीगरी है.
26वे तो नष्ट हो जाएंगे किंतु आप अस्तित्व में ही रहेंगे;
वे सभी वस्त्र समान पुराने हो जाएंगे.
आप उन्हें वस्त्रों के ही समान परिवर्तित कर देंगे
उनका अस्तित्व समाप्‍त हो जाएगा.
27आप न बदलनेवाले हैं,
आपकी आयु का कोई अंत नहीं.
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